" बहरों को सुनाने के लिए जोरदार आवाज कि जरुरत पड़ती है।"
" बहरों को सुनाने के लिए जोरदार आवाज कि जरुरत पड़ती है।"
यह वाक्य भगत सिंह द्वारा असेंबली में बम फेंकने के बाद काफी
लोकप्रिय हुआ था ।
लेकिन आज भारत एक लोकतंत्र है ,और एक लोकतंत्र में बम
और गोलियों कि कोई जगह नहीं होती है । आजकल भारत में
वैसे बहरों कि संख्या काफी बढ़ गई है जो कि संसद में बैठ कर
देश के बारे में न सोचकर सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं और जो
देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं । और इन बहरों को
बाहर का रास्ता दिखलाने या इनके कानों तक तक देशभक्तों
कि आवाजों को पहुँचाने के लिए हम चुनाव नामक बम का हीं
उपयोग हम जोरदार आवाज करने के लिए कर सकतें हैं । और
अगर हमनें इन चुनावों में भी सही उम्मीदवारों को संसद नहीं
पहुँचा पातें हैं तो चुनाव नामक इन बमों के धमाकों कि गूँज हमें
अगले चुनावों तक सुनाई देगी और देश को न जेन कब तक ।
इसलिए हमें इस मौके का उपयोग देश को सही दिशा देने के
लिए करना चाहिए । तभी जाकर हम भगत सिंह , सुखदेव,
राजगुरु और इन जैसे अनेकों अमर शहीदों के सपनों के भारत
का निर्माण कर पायेंगे । अतः हमें सोच समझकर अपने
मताधिकार का उपयोग कर भारत कि उन्नति में अपना योगदान
सुनिश्चित करना चाहिए ।
असल में यही हमारे शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
।।जय हिन्द।। ।। जय भारत ।।

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