चरागों का लगा मेला ये झांकी खूबसूरत है / प्रदीप

चरागों का लगा मेला ये झांकी खूबसूरत है 

 प्रदीप



चरागों का लगा मेला ये झांकी खूबसूरत है
मगर वो रौशनी है कहाँ
मुझे जिसकी जरुरत है
ये ख़ुशी लेके मैं क्या करूँ
मेरी है अब तलक रात काली

जगमगाते दियो मत जलो
मुझसे रूठी है मेरी दिवाली
ये ख़ुशी लेके मैं क्या करूँ

जिनसे रोशन थी ये ज़िन्दगी
वो तो जाने कहीं चल दिए
रौशनी मेरे आकाश को
देने वाले कहीं चल दिए
चल दिए है मेरे देवता
जिनका मंजर पड़ा आज खाली
जगमगाते दियो मत जलो
मुझसे रूठी है मेरी दिवाली

मैं जितना आज हूँ उतना ना था उदास कभी
चले गए वो बड़ी दूर जो थे पास कभी
अनाथ कर गए मुझको बिसारने वाले
बिना बताये अचानक सिधारने वाले
कहा हो ऐ मेरी बिगड़ी सँवारने वालों 

पुकार लो मुझे बेटा पुकारने वालों

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